धान के अभाव में गरीब था पर एस्से
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।।धन के अभाव में गरीब था (निबंध) ।।
गरीबी केवल धन का अभाव नहीं है बल्कि हर उस वस्तु के अभाव को गरीबी कह सकते हैं, जो मनुष्य के लिए नितांत आवश्यक है। सामान्यतः लोग धन के अभाव को ही गरीबी मानते हैं। यानि जिसके पास धन नही है, जो अपनी जीवनावश्यक जरूरतों को पूरा नही कर पाता वह व्यक्ति गरीब ही है। जो व्यक्ति विचारों से अभावग्रस्त है, अर्थात जिस के विचार निम्न स्तर के हैं, वह भी गरीब है। जो व्यक्ति शिक्षा से वंचित है, भले ही उसके पास धन कितना भी हो लेकिन वह निरक्षर या अशिक्षित है तो वह भी गरीब है, क्योंकि वह विद्या की दृष्टि से गरीब है। विचारों की कमी वाला व्यक्ति विचारों की दृष्टि से गरीब है। बहुत से व्यक्ति मंदबुद्धि होते हैं, ऐसे व्यक्ति बुद्धि की दृष्टि से गरीब हैं। कोई बहुत बड़ा सेठ है, बहुत बड़ा व्यापारी है, उसके बाद धन की कोई कमी नहीं, लेकिन उसके कोई संतान नहीं है तो वह व्यक्ति भी गरीब ही है, क्योंकि वह व्यक्ति संतान की दृष्टि से गरीब है।
इस तरह गरीबी को केवल धन के तराजू पर तोलना गरीबी की सही परिभाषा नही हो सकती। गरीबी तो एक अवधारणा है, जिसका तात्पर्य है कि चीज का अभाव। अब वह अभाव किसी चीज का हो सकता है, केवल धन का नही।
गरीबी को धन के अभाव से जोड़ने का कारण ये है, क्योंकि धन एक ऐसा साधन है, जिससे बहुत से अभावों को दूर किया जा सकता है, इसलिये लोगों में ये विचारधारा विकसित हो गयी कि धन की अभाव ही गरीबी है। माना कि धन की सहायता से बहुत से अभावों का दूर किया जा सकता है, लेकिन धन हर तरह के अभाव को दूर नही कर सकता, इसलिये गरीबी के केवल धन का अभाव नही है।