धान की रोपाई के समय समूचे माहौल के भगत को स्वर लहरिया किस
तरह चमत्कृत कर देती थी उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए।
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आषाढ़ की रिमझिम फुहारों के बीच खेतों में धान की रोपाई चल रही थी | ठंडी पुरवाई के झोंकों के साथ एक स्वरलहरी वातावरण में गूँज उठी | बालगोबिन भगत के कंठ से निकला मधुर संगीत वहाँ खेतों में काम कर रहे लोगों के मन में झंकार उत्पन्न करने लगा | स्वर के आरोह के साथ एक-एक शब्द जैसे स्वर्ग की ओर भेजा जा रहा हो | कुछ शब्द धरती पर खड़े लोगों के कानों की ओर भी आ रहे थे | बच्चे खेलते हुए ही झूमने लगे | मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ फड़क उठे, परवश - सी वे गीत की धुन गुनगुनाने लगीं | हलवाहों के पैर गीत के ताल के साथ उठने लगे | रोपाई करने वाले लोगों की उँगलियाँ गीत की स्वरलहरी के अनुरूप एक विशेष क्रम से चलने लगीं | बालगोबिन भगत के संगीत का जादू सम्पूर्ण वातावरण पर छा गया | सारी सृष्टि संगीतमय हो उठी |
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Page no. 70 and 71, Hope you will find it
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