*१ धूप बरसा रही थीं तलवारें,
फिर भी मैं सायबान से निकला।
वक़्त मोहलत न देगा फिर तुम को,
तीर जिस दम कमान से निकला
| ३ ग़ज़ल का भाव ३० शब्दों में लिखिए। ०
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1-07-13 Shivnarain Yadav आदरणीय आत्मन् जिस विधा में प्रिय. ... अब गजल से रुमानियत उड रही है . ... काफिया - तुकांत
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