Hindi, asked by dinocharge, 11 months ago

धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी। खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनिया कटि पीरी कछौटी।। वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी काग के भाग कहा कहिए हरि हाथ सों ले गयो माखन रोटी।। this is the 32nd stanza of raskhan ke savay please explain it irellavant anwers will be reported.

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Answered by Anonymous
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Answered by jayathakur3939
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इसका अर्थ इस प्रकार है

श्री कृष्ण भगवान जी धुल से भरे हुए आँगन में खेलते -खाते हुए भाग रहे हैं  सिर पर सुंदर चोटी बनी हुई है | उनकी माँ ने उनके पाँव में  घुंघरू पहना रखे हैं वह बज रहे हैं  | उन्होंने पीला पीताम्बर पहन रखा है | रसखान जी ऐसा कहते है कि उनकी इस छवि को देख करोड़ों–करोड़ों कामदेव न्यौछावर हो जाएंगे | रसखान जी कहते हैं कि कितने भाग्य वाला है वह  कौआ जो श्री कृष्ण जी के हाथ से माखन वाली रोटी ले जाता है |

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