Hindi, asked by bunkarankit31, 6 days ago

धार्मिक चेतना धार्मिक चेतना और मूल्य
का मानव जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है

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Answered by vijuporte99
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Answer:

धामक चतेना

धमदशन का मुय उेय धामक चतेना क उप एवंवप क ाया तुत करना है| जब हम इस समया क ओर पात

करतेहतो हम पातेहक धामक चतेना मनुय मन क या हैजो उसेधमक ओर ेरत करता है| धामक चतेना का अथहै- धम क चतेना| अय चतेना  क भांत धामक चतेना भी मानव मन सेसंबंधत होती हैधामक चतेना क ाया केलए हममानव मन

क ाया करना आवयक है| अथात हमउन तय क खोज करनी चाहए जनकेआधार पर धामक चतेना क उप तथा वकास

होतेहै|

मानव मतीन कार क वृयांवतमान रहती है- ानामक, संवेगामक और यामक| ोफेसर जेएच लयुवा नभाना चतेना

क ाया करतेए कहा हैक उनमतीन का सामंजय होता हैजो हमारी चतेना मसदा ही वतमान रहता है, जसेहम एक तय के

प मसमझ सकतेह| भी हमारी चतेना केआवयक सार पदाथ है| हमारी चतेना न केवल ानामक, संवेगामक और यामक है, बक इन तीन क एकता है| इसलए हम कह सकतेहक हमारी चतेना मइन तीन तव का समावेश है| धामक जतना भी हमारी

संपूणमानसक चतेना हैअतः यह कहा जा सकता हैक धामक चतेना केलए इन तीन तव का होना अनवायहै|

धामक चतेना क उप

धामक चतेना क उप मानव क आयामक असंतोष सेहोती है| मानव एक ऐसी सा क कपना करता है, जोस सेपरेहै, साथ ही उससेमहान भी| इस कार क भावना का उदय मानव क ससीमता केकारण होता है| ऐसी अवथा मवह अपनेको

असहाय अनभुव करता है| एक कार सेअय सा सेमदद और दया क आशा करता हैऔर इस कार उसमधामक चतेना का

ाभाव होता है| अतः यह कहा जा सकता हैक धामक चतेना क उप मानव क ससीमता का परणाम है|

धामक चतेना का वप

चतेना का अथान है, धामक चतेना का अथधामक नयम का ान है| साधारण तो चतेना ान का पयायवाची शद हैपरंतुधम दशन मचतेना शद का योग एक पारभाषक शद केप मकया जाता है| इस अथमधामक चतेना, ान, भावना और संकप

या इछा तीन का समवय है| धामक चतेना मतीन तव वमान है| इसेकेवल ान अप मानना इसका संकुचत अथहण करना

है| धमका बोध ान प अवय है, यक बु या ान सेही हम धमक मायता को जानतेहपरंतुधामक सांत केबोध

या ान केपात हमधमकेत ा या आथा होती है| यह ा या आथा भावना प है| धामक भावना केपात हम धमका

आचरण करतेह| अतः धामक चतेना मान, आथा और संकप तीन समलत ह| अतः यह प हैक धामक चतेना मतीन तव

वमान है| परंतुएक आवयक  यह हैक इन तीन मकौन सा तव धामक चतेना मबल है? ाय: वान मानतेहक धमम

तीन तव समलत हपरंतुइनमधानता या बलता एक समान नह है| फर भी यह धामक चतेना केअनवायअगंहै| धामक

चतेना ान, भावना और या का समवत प है| धामक चतेना जान धान है, भावना धान हैया या धान है? इस वषय पर

वान मववाद है|

धामक चतेना मान क धानता है

ववेक को धमका मूल आधार माननेवाल महीगलेऔर मैसमूलर का नाम उलेखनीय है| मैसमूलर केअनसुार अनतंसा का

ान ही धमहै| इसी कार अधकारय केअनसुार धामक चतेना का एकमा आधार हमारा ान है| इस वचार केसमथक के

अनसुार मानव धामक होता हैइसका कारण यह हैक उसकेपास ववेक है| यद पशु मभी ववेक होता तो भी भी धामक होते| पर

उनकेअदंर ान का अभाव है| इसकेअतर धामक चतेना को सावभौम बनानेकेलए ववेक को वीकार करना ही पड़ेगा, यक

भावना गत होती है, परंतुववेक सावभौम हैऔर इसेआधार बनाकर धामक चतेना भी सावभौम हो सकती है| बुवाद हेगले

तथा उसक संदाय केदाशनक मानतेहक धामक चतेना का मूल आधार ान है| बुवाद दाशनक बु को ही ान का ोत

मानतेह| इसी आधार पर वेधामक चतेना या ान को भी बु सूत वीकार करतेह| उनकेअनसुार मानव मान ही धान है, अतः

इसेही धामक चतेना का आधार वीकार करना उचत है| ववेक धान होनेकेकारण ही मनुय धमका आचरण करता है| यद मनुय

मान ना हो तो वह धमक ओर असर नह हो सकता| इस मायता को वीकार करनेवालेकुछ तक भी देतेह-

1• धमकेमूल मआयामक असंतोष है| मनुय अपूणसेपूणक ओर, सात सेअनतंक ओर, अप सेसव क ओर जाना

चाहता है| वह अपनी अपूणत ा और अपता क सीमा पार करना चाहता है| इसलए वह अपनेआप मएक कार केआयामक

असंतोष का अनभुव करता है| अपनेको द नह समझनेकेकारण व धमक ओर झुकता है| धामक चतेना ान प है|

2• धमका सार असीम और अनतंका बोध है| यकेधममएक असीम और अनतंपरा श या परमामा का बोध है| यह खुद ही

हमधामक बनाता है| परमामा पाराश का ान होतेही हम परमामा को अपना लय मानकर उस क ओर असर होतेह| धामक

चतेना वान क धानता है|

3• ान केकारण ही धमसुढ़ और वापी होता है| धामक अनभुूत गत होती है| इसी कारण धममसंकणत ा आती हैपरंतु

जब यह अनभुूतयांववेक यु हो जाती हतो सावजनक हो जाती है| इससेधमका महव बढ़ता है| बीबीसी धमकेच सेसंकणत ा

को र करता है| धामक चतेना का आधार ान है|

परंतुकेवल ान को धमका आधार वीकार करनेपर अनकेकठनाइयांदेख पड़ती ह| सवथम यद इस बात को वीकार कया जाए

तो यह संदध प सेमानना पड़ेगा क अानी धामक नह हो सकता| लेकन यह गलत है| हम पातेहक अानी  धामक होते

ह| जयेकॉक केअनसुार धमयद केवल बौक वतुहो जाए , जसमअनभुूतयांतथा संवेग का कोई थान ना हो तो वह धमन

रहकर केवल दशनशा रह जाएगा|

धामक चतेना का संवेगामक पहलू

कुछ वान केअनसुार धामक चतेना का संबंध केवल हमारेसंवेगामक पहलूसेही है| उनकेअनसुार धमका बु केसाथ कोई

संबंध नह| इस वचार केमाननेवाल ममुयतः सीलीयरमेकर और मैक टैगआटकेनाम उलेखनीय ह| इन वचारक केअनसुार

धमबौक नह हो सकता| इसका कारण यह हैक बु नयम, तक, तावना तथा सांत केसाथ उलझा है| परंतुधमएक

अनभुूत हैजो बु सेभ है| धमकोई यु या तक का वषय नह, यह तो वास पर आधारत है| यहांमानव अपनी आमा का

संबंध उसकेसा केसाथ थापत करता है, जसेईर कहतेह| अतः धमका बु केसाथ कोई संबंध नह इसकेसाथ ही उन

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