ध्रुपद का संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
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ध्रुपद गंभीर प्रकृति का गीत है। इसे गाने में कण्ठ और फेफड़े पर बल पड़ता है। इसलिये लोग इसे मर्दाना गीत कहते हैं। नाट्यशास्र के अनुसार वर्ण, अलंकार, गान- क्रिया, यति, वाणी, लय आदि जहाँ ध्रुव रूप में परस्पर संबद्ध रहें, उन गीतों को ध्रुवा कहा गया है।
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