Hindi, asked by ayushjha1901, 7 months ago

धीरे धीरे मन तन पर हावी हो जाता आश्य स्पस्ट कीजिए​

Answers

Answered by Niharika3288
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Explanation:

छाया मत छूना

मन, होगा दुख दुना।

जीवन में हैं सुरंग सुधियां सुहावनी

छवियों को चित्र-गंध फैली मनभावनी:

तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,

कुंतल के फूलों की याद बनी चाँंदनी।

भूल-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण-

छाया मत छूना

मन, होगा दुख दूना।

(2)

यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;

जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।

प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,

हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।

जो है यथार्थ कठिन उस का तू कर पूजन-

छाया मत छूना

मन, होगा दुख दूना।

(3)

दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,

देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं।

दुख है न चांद खिला शरद-रात आने पर,

क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?

जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,

छाया मत छूना

मन, होगा दुख दूना।

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