(धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥
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This Doha is written by kabir das ji
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शब कुछ धीरें धीरें होता है
जैसे माली 100 पेड़ तैयार करता है परंतु फल अपने समय पर ही फलता है
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