धीरे धीरें उत्तर
छितिज से कविता
का सारांश अपने
शब्दों में लिखें
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How are you Aunty and the next stage is not an easy task and the next
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धीरे धीरे उतर क्षितिज से
आ वसंत-रजनी!
तारकमय नव वेणीबंधन
शीश-फूल कर शशि का नूतन,
रश्मि-वलय सित घन-अवगुंठन,
मुक्ताहल अभिराम बिछा दे
चितवन से अपनी !
पुलकती आ वसंत-रजनी !
मर्मर की सुमधुर नूपुर-ध्वनि,
अलि-गुंजित पद्मों की किंकिणि,
भर पद-गति में अलस तरंगिणि,
तरल रजत की धार बहा दे
मृदु स्मित से सजनी !
विहँसती आ वसंत-रजनी !
पुलकित स्वप्नों की रोमावलि,
कर में हो स्मृतियों की अंजलि,
मलयानिल का चल दुकूल अलि !
चिर छाया-सी श्याम, विश्व को
आ अभिसार बनी !
सकुचती आ वसंत-रजनी !
सिहर सिहर उठता सरिता-उर,
खुल खुल पड़ते सुमन सुधा-भर,
मचल मचल आते पल फिर फिर,
सुन प्रिय की पद-चाप हो गई
पुलकित यह अवनी !
सिहरती आ वसंत-रजनी !
(नीरजा से)
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