धास में अधिक मात्रा
मे होता
है
जो प्रकार का in Hindi
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धान की पैदावार बढ़ाने के लिए एसआरआई उन्नत तकनीक ईजाद की गई है। इससे प्रति एकड़ धान की 80 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है। इस तकनीक से पानी व खाद की कम मात्रा से भी अधिक लाभ कमाया जा सकता है। यह जानकारी कृषि वैज्ञानिक डा. पीएन सिंह ने शुक्रवार को गांव चुहड़पुर में किसानाें को संबोधित करते हुए दी।
उन्होंने कहा कि नई तकनीक अपना कर पैदावार में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा ही बदलाव धान उत्पादन में एसआरआई तकनीक द्वारा किया गया है। इस तकनीक से धान की पनीरी को 4 फुट चौडे़ मिट्टी के बैड बनाकर बिजाई की जाती है। एक एकड़ में दो किलो बीज उपयोग होता है। 10-12 दिन की पौध की रोपाई बगैर कदू किए की जाती है। इससे पौधे की फुटाव शक्ति सामान्य से दो से तीन गुणी अधिक होती है। पौधे से पौधे की दूरी 8 वर्ग इंच के फासले पर लगाया जाता है। उन्हाेंने बताया कि रोपाई के बाद एक सप्ताह में एक हल्का पानी की सिंचाई की जाती है। इस तकनीक से पौधे के फु टाव से 50 से 55 शाखाओं पर बालियां निकलती हैं। जो सामान्य धान की रोपाई से दोगुनी बालियाें से अधिक होती हैं। इस तकनीक से 80 किवंटल तक धान की पैदावार ली जा चुकी है। वैज्ञानिक डा.पीएन सिंह ने कहा कि सामान्य तरीके से रोपाई किए गई धान की फसल में 6 किलो प्रति एकड़ बीज, एक थैला डीएपी, चार थैले यूरिया खाद व कई प्रकार की कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है और पैदावार 25 से 30 क्विंटल होती है जबकि नई तकनीक से आधा खर्च वहन होता है और दाने की गुणवता ज्यादा व पैदावार ढाई गुणा अधिक होती है। यह तकनीक किसान की आर्थिक स्थिति में क्र ांतिकारी बदलाव लाने में मददगार होगी व घटते भूजल तथा रासायनिक खाद की कम मात्रा से कम खर्च में अधिक पैदावार होगी। गोष्ठी में डा. केएस ग्रेवाल, डा.पी एस कुक्कड़, गुरमीत सिंह व जीता राम ने भी अपने विचार रखे ।
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