धातु की आम के साथ एक अभिक्रिया लिखो
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Explanation: ABSTRACT
In this paper, aqueous extracts of mango and orange peels were shown to be good corrosion inhibitors for carbon steel in a 1 mol L - 1 HCl solution. The inhibition efficiency increased as the extract concentration increased over a concentration range of 200-600 mg L - 1, varying from 79 to 96% (mango) and 84 to 91% (orange) using Tafel plots and from 69 to 94% (mango) and 76 to 90% (orange) using electrochemical impedance. In the presence of 400 mg L - 1 of mango and orange peel extracts, the weight loss measurements showed an increase in the inhibition efficiency with immersion time, where the best results after 24 h of immersion were 97% and 95%, respectively. The adsorption of the extract components on the surface of the carbon steel follows the Langmuir adsorption isotherm. With the extraction procedure used in this work, it can be surmised that it is likely that the more polar heterosides in the extracts are responsible for the corrosion inhibition of carbon steel in an acid solution.
Answer:
रासायनिक तत्वों को सर्वप्रथम धातुओं और अधातुओं में विभाजित किया गया, यद्यपि दोनों समूहों को बिल्कुल पृथक् नहीं किया जा सकता था। धातु की परिभाषा करना कठिन कार्य है। मोटे रूप से हम कह सकते हैं कि यदि किसी तत्व में निम्नलिखित संपूर्ण या कुछ गुण हों तो उसे धातु कहेंगे :
Explanation:
(1) चमक,
(2) परांधता,
(3) साधारण ताप पर ठोस,
(4) स्वच्छ सतह द्वारा प्रकाश के परावर्तन (Reflection) का गुण,
(5) ऊष्मा एवं विद्युत् की उत्तम चालकता, एवं
(6) द्रव अवस्था से ठंण्डा करने पर क्रिस्टल रूप में ठोस पदार्थ का बनना।
हम यह अवश्य कह सकते हैं कि यदि कोई तत्व विशुद्ध अवस्था में चमकदार और विद्युत् का चालक नहीं है, तो वह अधातु (non-metal) है। प्रकृति में असंयुक्त अवस्था में बिरली धातु ही मिलती है। स्वर्ण, रजत, प्लैटिनम और कभी-कभी ताम्र धातुएँ यदाकदा मिल जाती हैं। अधिकांश धातुओं के अयस्क (Ores) मिलते हैं जो अधातुओं (जैसे ऑक्सीजन, कार्बन, गंधक आदि) के साथ धातुओं के यौगिक होते हैं। ये यौगिक भी शुद्ध अवस्था में न होकर अन्य खनिज में मिश्रित रहते हैं। इन अयस्कों से विविध रीतियों द्वारा धातुएँ निकाली जाती हैं।
धातु प्रायः रसायनिक रूप से क्रियाशील होते हैं। हवा में आक्सीजन से संयोग कर धात्विक आक्साईड बनाते हैं। सबसे ज्यादा क्रियाशील अल्कली धातु (सोडियम, लीथियम, पोटेशियम - वर्ग I के धातु) होते है जबकि उसके बाद अल्कली मृदा धातुओं (बैरेलियम, मैग्नेशियम, कैल्शियम - वर्ग II के धातु) का स्थान आता है। उदाहरणार्थ -
4Na + O2 → 2Na2O (सोडियम ऑक्साईड)
2Ca + O2 → 2CaO (कैल्शियम ऑक्साईड)
4Al + 3O2 → 2Al2O3 (अल्यूमीनियम ऑक्साईड)
संक्रमण धातुओं का ऑक्सीकरण अपेक्षाकृत धीरे से होता है। धात्विक आक्साईड धातु के उपर एक परत बना लेते हैं, जैसे - लोहे में जंग लगना। धात्विक ऑक्साईड क्षारीय होते हैं जबकि अधात्विक ऑक्साईड प्रधानतया अम्लीय।
हैलोजनों से अभिक्रिया करते धातु धात्विक हैलाईड लवण बनाते हैं। उदाहरणार्थ -
2Na + Cl2 → 2NaCl (सोडियम क्लोराईड - साधारण नमक)
Ca + Cl2 → CaCl2 (कैल्शियम क्लोराईड)
2Li + F2 → 2LiF (लीथियम फ्लोराईड)
अधिक क्रियाशील धातु जल के साथ अभिक्रिया करके क्षार बनाते हैं और हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
2Na + 2H2O → 2NaOH + H2
कम क्रियाशील धातु साधारण ताप पर जल से अभिक्रिया नहीं करते बल्कि वे तप्त अवस्था में भाप से अभिक्रिया करके धात्विक ऑक्साईड बनाते हैं।
Mg + H2O → MgO + H2
Zn + H2O → ZnO + H2
अम्लों से अभिक्रिया करके धातु लवण बनाते हैं और हाईड्रोजन गैस मुक्त करते हैं -
Mg + H2SO4 → MgSO4 + H2