धातुओं के परिवर्तन रूप लिखे संस्कृत class 6 nayi deep manika book chapter no 2
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इन सभी रूपों के वाचक कुछ प्रत्यय हैं, जिनके प्रारंभ में 'ल' (जैसे-लुङ्, लङ्, लिट्, लुट्, लुट्, लुङ्, लट्, लोट् और लिङ्) लगे रहने के कारण इन्हें 'लकार' कहते हैं। ये लकार कालवाचक हैं। इन लकारों के स्थान पर ही परस्मैपदी धातुओं के साथ तिप्, तस्, झि आदि अथवा आत्मनेपदी धातुओं के साथ त, आताम्, झ आदि प्रत्यय होते हैं।
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