Hindi, asked by srchethan1162, 2 months ago

धुत राष्ट्र जुए के खेल का आयोजन क्यों नही टाल सके

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Answered by Itzpureindian
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पांडवों ने हस्तिनापुर छोड़ने के बाद नया शहर इन्द्रप्रस्थ बसाया और राजसूय यज्ञ की योजना बनाई। इसी की तैयारी में ब्राह्मणों के वेश में कृष्ण, अर्जुन और भीम जरासंध के पास गए और वहां मल्ल युद्ध में भीम के द्वारा जरासंध का वध हुआ। यज्ञ से पहले होने वाली अग्र पूजा में पितामह भीष्म द्वारा कृष्ण का नाम प्रस्तावित किया। इसके बाद शिशुपाल भगवान कृष्ण को अपशब्द बोलने लगा और फिर कृष्ण द्वारा शिशुपाल का वध हुआ। आगे पढ़ें कि कैसे इन्द्रप्रस्थ के वैभव को देख कर दुर्योधन के मन में ईर्ष्या आई और कैसे ये ईर्ष्या ही सब को महाभारत के युद्ध तक ले गई...

सद्‌गुरुराजसूय यज्ञ में भाग लेने के लिए दुर्योधन भी इंद्रप्रस्थ पहुंचा था। यहां आकर वह इंद्रप्रस्थ महल का वैभव देखकर हैरान था। वह महल को इधर-उधर देखता हुआ आगे बढ़ रहा था। रास्ते में उसे एक ऐसा फर्श दिखा, जो अपने आप में एक पानी का ताल लगता था। जब उसने उसे छुआ तो महसूस हुआ कि यह तो पारदर्शी क्रिस्टल का है। दूसरी ओर द्रौपदी और भीम एक झरोखे में खड़े होकर यह पूरी घटना देख रहे थे। दुर्योधन को लगा कि जो भी ताल जैसा दिखता है, वह दरअसल फर्श है, जिस पर चला जा सकता है। उसके बाद उसने इस पर ध्यान देना छोड़ दिया। रास्ते में जब एक ताल आया तो दुर्योधन उसे भी फर्श समझकर जैसे ही आगे बढ़़ा, वह पानी में गिर पड़ा। दुर्योधन की इस हालत पर द्रौपदी जोर से खिलखिलाकर हंस पड़ी।

दुर्योधन ने जब द्रौपदी को अपने उपर इस तरह से हंसते देखा तो वह गुस्से से भर उठा। उसने मन ही मन सोचा कि एक न एक दिन इस औरत को इस अपमान का मजा चखाउंगा। दुर्योधन को पहले से ही पांडवों की इतनी प्रगति और वैभवशाली राज्य देखकर ईष्र्या हो रही थी।

जब दुशासन ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो उसकी इस हरकत पर भीम ने प्रतिज्ञा की, कि एक दिन मैं दुशासन की छाती फाड़कर उसका लहू पियूंगा। दूसरी ओर द्रौपदी ने भीम से कहा कि जब तक उसकी छाती का खून नहीं लाओगे, तब तक मैं अपने बाल नहीं बांधूंगी।

वह सहन नहीं कर पा रहा था कि कैसे इन लोगों ने अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया। इस अपमान से जलते हुए वह वापस हस्तिनापुर पहुंचा और पांडवों से बदला लेने की योजना बनाने लगा। दुर्योधन जानता था कि शायद वह आपसी युद्ध में पांडवों से जीत न सके, इसलिए उसने पांडवों से बदला लेने के लिए अपने मामा शकुनि की मदद ली। शकुनि ने उन्हें जुए के खेल में भाग लेने के लिए बुलाने की योजना बनाई। दरअसल, वह जानता था कि कोई भी क्षत्रिय कभी भी जुए के खेल के न्यौते को ठुकरा नहीं सकता, क्योंकि उस समय जुए का न्यौता ठुकराना क्षत्रिय के लिए कायरता मानी जाती थी। दूसरी ओर जुआ युधिष्ठिर की कमजोरी भी थी। हालांकि वह इस खेल में कोई खास पारंगत नहीं थे, जबकि शकुनि इस खेल का माहिर माना जाता था।

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