धातु संकुल का उष्मागतिकी अथवा को विस्तार स समझाइए
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उष्मागतिकी (उष्मा + गतिकी = उष्मा की गति संबंधी या ऊष्मा और गति) के अन्तर्गत ऊर्जा का कार्य और उष्मा में रूपान्तरण
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एक उपसैयोजक में कम से कम एक योगिक संकुल ayan avashya प्रस्तुत होता है। यह दो या दो से अधिक अनुवो से जुड़ा हुआ रहता है।इसलिए यह धातु धनायन एवं लीजेंड आपस में उपसैयोहक बांध द्वारा सामान्य इस्थीति में जुड़े हुए रहते है।
धातु संकुल का उष्मगतिकी सिद्धान्त इसी को बोला गया है।धातु आयन या धातु लुविस अणु प्रवृत्ति के होते है।
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