Music, asked by sahusushil68, 2 months ago

ध्वनि की उत्पत्ति के कुल कितने साधन है​

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Answered by prapti483
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ध्वनि सिद्धान्त, भारतीय काव्यशास्त्र का एक सम्प्रदाय है। भारतीय काव्यशास्त्र के विभिन्न सिद्धान्तों में यह सबसे प्रबल एवं महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है।

ध्वनि सिद्धान्त का आधार 'अर्थ ध्वनि' को माना गया है। इस सिद्धान्त की स्थापना का श्रेय 'आनंदवर्धन' को है किन्तु अन्य सम्प्रदायों की तरह ध्वनि सिद्धान्त का जन्म आनंदवर्धन से पूर्व हो चुका था। स्वयं आनन्दवर्धन ने अपने पूर्ववर्ती विद्वानों का मतोल्लेख करते हुए कहा हैं कि-

काव्यस्यात्मा ध्वनिरिति बुधैर्यः समाम्नातपूर्वःअर्थात काव्य की आत्मा ध्वनि है ऐसा मेरे पूर्ववर्ती विद्वानों का भी मत हैं।

आनंदवर्धन के पश्चात 'अभिनवगुप्त' ने 'ध्वन्यालोक' पर 'लोचन टीका' लिखकर ध्वनि सिद्धान्त का प्रबल समर्थन किया। आन्नदवर्धन और अभिनवगुप्त दोनों ने रस और ध्वनि का अटूट संबंध दिखाकर रास मत का ही समर्थन किया था। आन्नदवर्धन ने 'रस ध्वनि' को सर्वश्रेष्ठ ध्वनि माना हैं जबकि अभिनवगुप्त रस-ध्वनि को 'ध्वनित' या 'अभिव्यंजित' मानते हैं। परवर्ती आचार्य मम्मट ने ध्वनि विरोधी मुकुल भट्ट, महिम भट्ट, कुन्तक आदि की युक्तियों का सतर्क खंडन कर ध्वनि सिद्धान्त को प्रबलित किया। उन्होंने व्यंजना को काव्य के लिए अपरिहार्य माना इसीलिए उन्हें 'ध्वनि प्रतिष्ठापक परमाचार्य' कहा जाता है। ध्वनि सिद्धान्त का आधार स्फोटवाद सिद्धान्त है काव्यशास्त्र में ध्वनि का संबंध 'व्यंजना शक्ति'से है।

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