ध्वनि प्रदूषण
किस प्रकार भारतीय
भारतीय महानारो के
खतरनाक हो
चुका है।
Answers
Explanation:
हमारे देश में विभिन्न अवसरों पर की जाने वाली आतिशबाजी भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। विभिन्न त्योहारों, उत्सवों, मेंलों, सांस्कृतिक/वैवाहिक समारोहों में आतिशबाजी एक आम बात है। मैच या चुनाव जीतने की खुशी भी आतिशबाजी द्वारा व्यक्त की जाती है। परन्तु इन आतिशबाजियों से वायु प्रदूषण तो होता ही है साथ ही ध्वनि तरंगों की तीव्रता भी इतनी अधिक होती है, जो ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या को जन्म देती है।ध्वनि वह तत्व है, जिसका आभास हमारी कर्णेन्द्रियों से हJोता है। किसी वस्तु के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। ध्वनि की अवांछनीय तीव्रता को शोर (Noise) को कहते हैं। अग्रेजी का Noise शब्द लैटिन के Nausea शब्द से लिया गया। इस अदृश्य प्रदूषण से कई गंभीर समस्याओं ने जन्म लिया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में असहनीय ध्वनि को प्रदूषण का अंग ही माना हैं। तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण एवं यातायात के कारण ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर समस्या के रूप में उभरा है और इसका कुप्रभाव मनुष्यों के ऊपर ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों एवं वनस्पतियों पर भी पड़ता है।
शोर एक आधुनिक समस्या नहीं है। 2500 वर्ष पूर्व पुराने यूनान की साइबर नाम की कालोनी के लोगोंं को शोर के नियंत्रण के उपायों का पता था। उन्होंने सुरक्षित निद्रा के लिए कानून बनाए, ताकि वहां के नागरिक शांतिपूर्ण निद्रा ले सकें। जूलियस सीजर ने भी ऊंची ध्वनि पर प्रतिबंध लगाया था और उन रथों के रात में चलने पर पाबंदी लगा दी थी जिनके चलने से रात में शोर होता था।
शोर/ध्वनि प्रदूषण की परिभाषा
जे. टिफिन के अनुसार “शोर एक ऐसी ध्वनि है, जो किसी व्यक्ति को अवांछनीय लगती है और उसकी कार्यक्षमता (Efficiency)को प्रभावित करती है।”
हटैल के अनुसार “शोर एक अवांछनीय ध्वनि है, जो कि थकान बढ़ाती है और कुछ औद्योगिक परिस्थितियों में बहरेपन का कारण बनती हैै।”
राॅय के अनुसार “अनिच्छापूर्ण ध्वनि, जो मानवीय सुविधा, स्वास्थ्य तथा गतिशीलता में हस्तक्षेप करती है, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है।”एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका शोर को एक “अवांछनीय ध्वनि” के रूप में परिभाषित करता है।
Environmental Health Criteria के अनुसार “शोर एक ऐसी अवांछनीय ध्वनि है, जो कि व्यक्ति/समाज के लोगों के स्वास्थ और रहन-सहन (Well Being) पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।”
ध्वनि प्रदूषण का मापन (Measurement Of Noise Pollution)
ध्वनि की तीव्रता को मापने के लिए डेसीबेल (Decibel) इकाई निर्धारित की गई है।
मनवीय कान (Ear) 30Hz से 20,000 Hz तक की ध्वनि तरंगों के लिए बहुत अधिक संवेदनशील है, लेकिन सभी ध्वनियां मनुष्य को नहीं सुनाई देती हैं। डेसी का अर्थ है 10 और वैज्ञानिक ग्राहमबेल के नाम से “बेल” शब्द लिया गया है।
कान की क्षीणतम श्रव्य ध्वनि शून्य स्तर से प्रारम्भ होती है।
नीचे दी गई तालिका में विभिन्न स्रोतों से निकलने वाली ध्वनि के स्तर को दर्शाया गया है-
स्रोत
ध्वनि स्तर (Decibel)
श्वसन
10
पत्तियों की सरसराहट
10
फुसफुसाहट
20-30
पुस्तकालय
40
शांत भोजनालय
50
सामान्य वार्तालाप
55-60
तेज वर्षा
55-60
घरेलू बहस
55-60
स्वचालित वाहन/घरेलू मशीनें
90
बस
85-90
रेलगाड़ी की सीटी
110
तेज स्टीरियो
100-115
ध्वनि विस्तारक
150
सायरन
150
व्यावसायिक वायुयान
120-140
राकेट इंजन
180-195
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