Hindi, asked by sobanSingh, 2 months ago

ध्वनि प्रदूषण
ke bare mein

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Answered by amitbathla
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Explanation:

ध्वनि प्रदूषण को किसी भी परेशान करने वाले या अवांछित शोर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो मनुष्यों या वन्यजीवों को हस्तक्षेप या नुकसान पहुंचाता है। ध्वनि प्रदूषण का वन्यजीव प्रजातियों पर आवास की गुणवत्ता को कम करने, तनाव के स्तर को बढ़ाने और अन्य ध्वनियों को छिपाने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है

Answered by prakashakash802
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ध्वनि प्रदूषण पूरे विश्व की समस्या बन चुका है, 40 डेसीबल से ऊपर की तेज और असहनीय आवाज को ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में रखा जाता है। अगर इससे अत्यधिक सौर उत्पन्न होता है तो वह मनुष्य और जीव जंतुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अगर कोई व्यक्ति अपना ज्यादातर समय भीड़ भाड़ वाले इलाकों या फिर अत्यधिक सौर वाले क्षेत्र में बिताता है तो धीरे धीरे उसके सुनने की क्षमता क्षीण होती जाती है।

ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य को मानसिक विकार जैसे चिड़चिड़ापन, सिरदर्द आदि हो सकते है और साथ ही शारीरिक विकार जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, रक्त प्रवाह की गति धीमी होना जिससे हार्ट अटैक का खतरा भी होता है। अत्यधिक शोर वन्य जीव जंतुओं की दिनचर्या पर भी प्रभाव डालता है उनकी आदतों में बदलाव आता है, खाने-पीने संबंधी समस्या और उनकी प्रजनन क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है।

अगर जल्द ही ध्वनि प्रदूषण का कोई समाधान नहीं किया गया तो यह है आने वाले भविष्य में बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकता है। ध्वनि प्रदूषण बड़े कारखानों, उद्योगों, हवाई जहाजों ,रेलगाड़ियों, बड़ी मशीनों, निर्माण कार्य, लाउडस्पीकर, हॉर्न और वाहनों से होता है। ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए उद्योगों को आबादी क्षेत्र से दूर रखना होगा, हॉर्न कम बजाना होगा, लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल कम करना होगा, समय-समय पर बड़ी मशीनों की मरम्मत करनी होगी जिससे कि वह तेज आवाज न करें।

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