Physics, asked by Mahinyoosaf8542, 1 year ago

ध्वनि-तरंगों के परावर्तन के दो व्यवहारिक उपयोगों का उल्लेख करें।

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Answered by Anonymous
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1. ध्वनि का बहुलित परावर्तन -जिस प्रकार दो समतल दर्पणों (plane mirror )को उपयुक्त स्थानों पर रखकर प्रकाश का क्रमिक (successive )प्रवर्तन संभव है और उसका उपयोग प्रकाशिक यंत्रों (जैसे पेरिस्कोप आदि )में होता है उसी प्रकार ध्वनि का क्रमिक पपरावर्तन होता है और इसके भी अनेक उपयोग है | आपके मेघगर्जन (thunder) की दीर्घ ध्वनि जो धीरे-धीरे मंद होकर समाप्त हो जाती है ,ऐसा प्रभाव तब उत्पन्न होता है जब मेघगर्जन की ध्वनि बादलों की सतह से टकराकर परावर्तित होती है और एक-एक कर हमारे कानों तक पहुँचती है |

2. डॉक्टरी स्टेथोस्कोप (Doctor,s Stethoscope)की नली में ध्वनि के बहुलियत (अथवा लगातार )परावर्तन का उपयोग होता है | हमारे हृदय की धड़कन एवं धमनियों में रक्त संचालन की ध्वनि इतनी धीमी होती है की बिना कान सटाए उसे नहीं सुना जा सकता है ,किंतु यदि इस प्रकार की ध्वनि के स्त्रोत के निकट एक नलियुक्त चोंगा के संकीर्ण मुख से होकर ध्वनि की तरंगें नली की और बढ़ती है और नली की दिवार से बारबार परावर्तित होकर नली के अंदर ही आगे बढ़ती है | इस नली को कान से लगाने पर ध्वनि को आसानी से सुना जा सकता है | डाक्टरों के स्टेथोस्कोप के चौड़े मुँह को हृदय या किसी अन्य अंग पर रखकर ध्वनि को सुनने से डॉक्टरों को रोग पता लगाने में सहायक मिलती है |

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I think........

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