Hindi, asked by j8580592743, 10 months ago

ध्वनियों के शद्ब निर्माण की प्रक्रिया स्पस्ट
करते हुए हिकी वानियों की उच्चारणगत विशेषत
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Answered by KRPS500
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Answer:

ध्वनि के बिना शब्दों, पदों अथवा वाक्यों की कल्पना नहीं की जा सकती। किसी भी भाषा में ध्वनियों के महत्ता को नकारा नहीं जा सकता। ध्वनियों का समूहन शब्द, पद, वाक्य यहाँ तक कि भाषा है। प्राचीन भारतीय चिंतन परंपरा में भी ध्वनियों का अध्ययन शिक्षा और प्रातिशाख्य के अंतर्गत किया गया है जबकि भाषाविज्ञान में ध्वनियों का अध्ययन ध्वनि विज्ञान (Phonetics) के अंतर्गत किया जाता है।

ध्वनिविज्ञान अथवा स्वनविज्ञान को ध्वनियों के उत्पादन , संवहन और ग्रहण के आधार पर तीन शाखाओं 1. औच्चारिकी ध्वनिविज्ञान (Articulatory phonetics) 2. भौतिकी ध्वनिविज्ञान (Acoustic Phonetics) 3. श्रौतिकी (Auditory Phonetics) में विभक्त किया गया है। औच्चारिकी ध्वनिविज्ञान के अंतर्गत ध्वनि के उच्चारण से संबंधित अध्ययन किया जाता है। ध्वनियों का उच्चारण स्थान क्या है, किन-किन वाक् अवयवों का इसमें योग होता है, वायु किस रूप में ध्वनियों को उच्चरित करती है। अर्थात् ध्वनियों के उत्पादन से संबंधित अध्ययन इस शाखा में किया जाता है। भौतिकी ध्वनिविज्ञान के अंतर्गत ध्वनि के उच्चरित होने के पश्चात ध्वनि वायु तरंगों के माध्यम से किस रूप में सभी के संपर्क में आती हैं। अर्थात् वक्ता और श्रोता के बीच कैसे ये ध्वनियाँ पहुँचती हैं। इसका अध्ययन किया जाता है। ध्वनियों के संवहन से संबंधित अध्ययन ही इस शाखा का आधार है।

श्रौतिकी ध्वनिविज्ञान के अंतर्गत ध्वनियाँ वायु तरंगों के माध्यम से हमारे कान तक पहुँचती हैं। इसके अंतर्गत ध्वनियों के सुनने से संबंधित अध्ययन किया जाता है। ध्वनियाँ कैसे हमारे कान के माध्यम से अंदर प्रविष्ट होती हुई हमारे तंत्रिका कोशिका (न्यूरोन) के माध्यम से हमारे मस्तिष्क तक पहुँचती हैं और सुननेवाला कैसे मस्तिष्क में स्थित पदार्थों और भावों के बिंब के माध्यम से बोलनेवाले के भावों को समझ लेता है। इन सबका अध्ययन ध्वनि विज्ञान की इस शाखा के अंतर्गत किया जाता है। अर्थात् ध्वनियों के ग्रहण से संबंधित अध्ययन ही श्रौतिकी ध्वनि विज्ञान के मूल में है।

प्रस्तुत आलेख ‘ध्वनि संरचना’ विषय का संबंध केवल औच्चारिकी ध्वनि विज्ञान से है। अतः इसके अंतर्गत ध्वनियों के उत्पादन से संबंधित चर्चा की गई है।

भाषा मूलतः उच्चरित होती है। उच्चरित भाषा में शब्दों का निर्माण ध्वनियों अर्थात् वाक् ध्वनियों से होता है। भाषा के द्वारा मानव अपने विचारों का आदान - प्रदान करता है। भाषा के अंतर्गत वाक्य, उपवाक्य, पदबंध, पद, रूपिम तथा स्वनिम (ध्वनि) क्रमशः बड़ी से छोटी इकाई आती है। इनमें सबसे छोटी इकाई स्वनिम (ध्वनि) है। अर्थात् भाषा की लघुतम इकाई ध्वनि है। वाक्य, उपवाक्य, पदबंध, पद तथा रूप अथवा रूपिम आदि सभी सार्थक हैं तथा सभी ध्वनियों के समूह से ही बनते हैं। ध्वनियाँ अपने आप में सार्थक नहीं होतीं परंतु अर्थ भेदक अवश्य होती हैं। ध्वनियाँ मानव मुख से निःसृत होती हैं। होंठ, जिह्वा, दाँत, तालू, वर्त्स, कंठ, स्वरतंत्री, फेफड़ा, नासिकाविवर का ध्वनियों के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इनमें सबसे अधिक चलायमान जिह्वा होती है। ध्वनियों के उत्पादन में जो सबसे महत्वपूर्ण तत्व है वह है वायु। वायु का मुखविवर में उसके किसी स्थान पर अवरोध, स्पर्श, घर्षण, स्वरतंत्रियों के कंपन आदि के आधार पर ध्वनियों का वर्गीकरण किया जाता है। वायु का दबाव कितना है, कम है अथवा अधिक इसके आधार पर व्यंजन ध्वनियों में प्राणत्व का निर्धारण किया जाता है। यदि वायु नासिका विवर से निकलती है तो इससे उच्चरित ध्वनियाँ नासिक्य ध्वनियाँ कहलाती हैं।

इस प्रकार हम देखते हैं कि भाषा मानव मुख से निःसृत ध्वनियों का समूहन होती है। भाषा के निर्माणक ध्वनियाँ ही होती हैं। ध्वनियों से शब्द अथवा पद बनते हैं। शब्द/पद से पदबंध, पदबंध से उपवाक्य , उपवाक्य से वाक्य बनते हैं। वाक्य भाषा की सबसे बड़ी इकाई है। भाषावैज्ञानिक दृष्टिकोण से ध्वनि को स्वन (Phone) कहते हैं। जिस शास्त्र के अंतर्गत ध्वनि का अध्ययन किया जाता है , वह ध्वनिविज्ञान अर्थात् (Phonetics) स्वनविज्ञान कहलाता है। इस इकाई के अंतर्गत जहाँ स्वरों का वर्गीकरण जिह्वा की ऊँचाई , जिह्वा की स्थिति तथा होठों की आकृति के आधार पर किया गया है वहीं व्यंजन ध्वनियों का वर्गीकरण उनके उच्चारण स्थान, उच्चारण प्रयत्न आदि के आधार पर किया गया है। अक्षर एवं संयुक्ताक्षर (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) पर भी इस लेख में विचार किया गया है।

Answered by AMR786
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Microbes are tiny living things that are found all around us and are too small to be seen by the naked eye. They live in water, soil, and in the air. ... There are also microbes called protozoa.

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