ध्यान ऊधौ जोग जोग हम नाहीं। अबला सार-ज्ञान कह जानें, कैसे धराहीं। तेई मूंदन नैन कहत. हौ, कहत. हौ, हरि मूरति जिन माहीं। ऐसी कथा कपट की मधुकर, हमतें सुनी न जाहीं।
Answers
Answered by
4
ध्यान ऊधौ जोग जोग हम नाहीं।
अबला सार-ज्ञान कह जानें, कैसे धराहीं।
तेई मूंदन नैन कहत. हौ, कहत. हौ, हरि मूरति जिन माहीं।
ऐसी कथा कपट की मधुकर, हमतें सुनी न जाहीं।
भाावार्थ : सूरदास के भ्रमरगीत में गोपियां उद्धव से कहती हैं कि हे उद्धव! हम अबला गोपियां, तुम्हारी इस योग साधना के ज्ञान के योग्य नहीं हैं। हम अबलायें तुम्हारे द्वारा दिए गए ज्ञान के तत्व को भला कैसे समझ सकती हैं। हम कैसे ध्यान लगा सकती हैं। तुम हमें उन आँखों को मूँदने के लिए कह रहे हो, जिनसे हमने अपने श्यामसुंदर यानी श्रीकृष्ण की सांवली सलोनी सूरत बिठा रखी है। ऐसी छल भरी बातें हमसे कहीं नहीं सुनी जा रहीं |
Similar questions
Social Sciences,
9 hours ago
English,
9 hours ago
Biology,
18 hours ago
Physics,
18 hours ago
Hindi,
8 months ago
Math,
8 months ago
Social Sciences,
8 months ago