धन आनर रस को न होत
मरत पपीहार्मन दरसों पर बरनी।।
परवाने रोग मो से अनपहनानकों।
त्यो एकार मधि मौन कृपा-कान माधनो
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दरस परस मज्जन अरु पाना। हरइ पाप कह बेद पुराना॥
नदी पुनीत अमित महिमा अति। कहि न सकइ सारदा बिमल मति॥
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