धनुही सम त्रिपुरारि धनु विदित सफल संसार ।।
2.राम का रूप निहारत जानकी कगत के नग में परवाही।
याति सबै सुधि मूलि गई कर हेकि रही पल दारत नाही ।।
3. बीर रस की एक कविता लिखे।
4. जसोदा हरि पालने झुलादे गहनरावै दलराह मल्हा,
जोड़ सोई कुछ गायें । मेरे लाल को आउ निदरिया, काहे न आनि बुलाई
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