धन की खोज पाठ के आधार पर लिखें कि अनुचित ढंग से धन लाने की आज्ञा देने में अचार्य ka क्यa
उद्देश्य था
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‘धन की खोज’ पाठ में गुरुकुल के आचार्य द्वारा अपने विद्यार्थियों को अनुचित ढंग से धन लाने की आज्ञा देने में आचार्य का उद्देश्य यह परखना था कि उन्होंने जो सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी है, उसे उनके विद्यार्थियों ने सही तरह से ग्रहण किया है या नहीं।
आचार्य ने एक अपनी कन्या के विवाह की झूठी बात कह कर सभी विद्यार्थियों को कन्या के विवाह हेतु बिना किसी को बताए धन का प्रबंध करने के लिए कहा। सभी विद्यार्थी अपने घर आदि से बिना किसी को बताए धन और अन्य वस्तुयें लाकर आचार्य को देते रहे। केवल एक विद्यार्थी ने उन्हें कुछ भी धन या कोई वस्तु लाकर नहीं दी। जब आचार्य ने पूछा उसने उनकी आज्ञा का पालन क्यों नहीं किया तो विद्यार्थी ने कहा कि मैं आपके लिए धन तो लाना चाहता था, लेकिन मैंने आपने कहा था कि कोई भी ना देख रहा हो लेकिन जब भी मैंने धन लाने का सोचा तो मुझे ऐसा लगता था कि कोई ना कोई मुझे देख ही रहा है। मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि कोई मुझे नहीं देख रहा है अर्थात मेरी अंतरात्मा और ईश्वर तो मुझे देख ही रहा था, इसलिए मैं आपके लिए अनुचित ढंग से धन नहीं ला पाया।
तब आचार्य ने उसे गले लगा लिया और कहा कि मेरी दी हुई शिक्षा को सही अर्थों में तुमने ही ग्रहण किया। मैं तो केवल तुम सब लोगों की परीक्षा लेने के लिए अपनी कन्या के विवाह हेतु धन लाने की झूठी बात रखी थी, ताकि तुम मेरी बात के पीछे अर्थ को समझो। मैं तुम सब लोगों को परखना चाहता था कि तुम लोगों मेरी दी हुई शिक्षा को सही अर्थों में ग्रहण किया है कि नही। केवल तुम ही मेरी परीक्षा में उत्तीर्ण हुये।
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