धनी लोगों को देखकर गरीबदास क्या सोचता था?
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जिसे रत्न सागर भी कहते हैं। इन्होने गरीबदासी नामक सम्प्रदाय की नींव रखी. स्वामी चेतन दास के अनुसार इन्होने १८५०० से अधिक पदों की रचना की.[1] अच. ऐ. रोज के अनुसार गरीबदास की ग्रन्थ साहिब पुस्तक में ७००० कबीर के पद लिए गए थे और १७००० स्वयं गरीब दास ने रचे थे। गरीबदास का दर्शन था कि राम में और रहीम में कोई अन्तर नहीं है।[2]बाबा गरीबदास की समाधि स्थल पीडवा गाव नागौर जिले में हैं
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vo sochta hoga shayad ki me bhi dhani ban jaau
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