३.धन्ना सेठ की पत्नी सेठ से बार-बार महायज्ञ बेचने को क्यों कह रही थी ?
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धन्ना सेठ ही पत्नी के अनुसार स्वयं भूखे रहकर चार रोटियाँ किसी भूखे कुत्ते को खिलाना ही महायज्ञ है। इस तरह यज्ञ कमाने की इच्छा से धन-दौलत लुटाकर किया गया यज्ञ, सच्चा यज्ञ नहीं है, निस्वार्थ भाव से किया गया कर्म ही सच्चा यज्ञ महायज्ञ है। मुसीबत के समय अपना धैर्य न खोते हुए उसने अपने पति को अपना एक यज्ञ बेचने की सलाह दी।
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