धनुष भंग होने पर के पश्चात सीता स्वयंवर में पहुंचकर क्रोधी स्वभाव वाले परशुराम ने क्या प्रश्न पूछा
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Explanation: उन्होंने पूछा कि किसने मेरे आराध्य शिवजी का धनुष तोड़ने का साहस किया
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धनुष भंग होने पर के पश्चात सीता स्वयंवर में पहुंचकर क्रोधी स्वभाव वाले परशुराम ने यह पूछा की मेरे आराध्य भगवान शिव की इस धनुष को तोड़ने का दु:साहस किसने किया है?
- शिव धनुष भंग होने पर परशुराम जी अति क्रोधित होकर पूछने लगे कि यह धनुष किसने तोड़ा है?
- और जिसने भी यह धनुष तोड़ा है वह सहस्त्रबाहु की तरह मेरा शत्रु है और उसे इस धरती पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
- परशुराम के क्रोध को देखकर पूरे सभा में हड़कंप मच गया और सारे राजा इधर उधर अपना मुंह छिपाने लगे।
- 21 बार पूरी पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन करने वाले परशुराम के पराक्रम से सब लोग अवगत थे। इसलिए सबने चुप रहना ही उचित समझा।
- भगवान श्री राम ने हाथ जोड़कर आगे बढ़ते हुए यह कहा कि हे! प्रभु जिस किसी ने यह धनुष तोड़ा होगा वह आपका दास ही होगा।
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