धनात्मक तथा ऋणात्मक त्वरण से क्या तात्पर्य है?
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त्वरण (acceleration): किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसका S.I. मात्रक मी/से2 है। यदि समय के साथ वस्तु का वेग घटता है तो त्वरण ऋणात्मक होता है, जिसे मंदन (retardation ) कहते हैं।
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- धमात्मक त्वरण में वेग लगातार ही बढ़ता जाता है और इस बेग बढ़ाने के लिए गति के दिशा में बल को आरोपित किया जाता ।
- जबकि ऋणात्मक त्वरण बताता है कि विस्थापन की दर लगातार कम होती जा रही है अर्थात समान समयांतराल में तय की गयी विस्थापन लगातार कम होता जाएगा।
Explanation:
- किसी धनात्मक त्वरण का अर्थ होगा कि विस्थापन लगातार बढ़ता ही जा रहा है अर्थात प्रत्येक समय अंतराल पर विस्थापित दूरी बढ़ती ही जा रही है ।
- धमात्मक त्वरण में वेग लगातार ही बढ़ता जाता है और इस बेग बढ़ाने के लिए गति के दिशा में बल को आरोपित किया जाता ।
- जब निकाय का त्वरण वेग की विपरित दिशा में होता है, तो अवत्वरण कहलाता है । यह निकाय का एक ऋणात्मक त्वरण है।
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