धन्य है वह ईंट, जो जमीन के सात हाथ नीचे जाकर गड़ गई और इमारत की पहली ईंट बनी। क्योंकि इसी पहली
ईट पर, उसकी मजबूती और पुख्तेपन पर सारी इमारत की अस्ति-नास्ति निर्भर करती है। उस ईंट को हिला दीजिए, कंगरा |
बेतहाशा जमीन पर आ रहेगा। कंगरे के गीत गाने वाले हम आइए, अब नींव के गीत गाएँ। वह ईंट, जो सब ईंटों से |
मुनहसिर होती है, इसलिए उसने अपने को नींव में अर्पित कर दिया। सुंदर सृष्टि हमेशा ही बलिदान खोजती है। बलिदान
ज्यादा पक्की थी, यदि ऊपर लगी होती, तो कंगूरे की शोभा सौ गुनी कर देती। किंतु इमारत की पायदारी उसकी नींव पर
ईट का हो या व्यक्ति का। सुंदर इमारत बने, इसलिए कुछ पक्की-पक्की लाल ईंटों को चुपचाप नींव में जाना है। सुंदर
समाज बने, इसलिए कुछ तपे-तपाए लोगों को मौन-मूक शहादत का लाल सेहरा पहनना है।
प्रश्न तयार किजिए .
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1) कौनसी ईंट धन्य है?
2) किस पर सारी इमारत की मजबूती निर्भर करती है?
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तैयार किए हुए प्रश्न :
(1) नींव की ईंट को हिला देने से इमारत पर क्या असर पड़ेगा?
(2) लेखक के अनुसार कौन-सी ईंट धन्य है और क्यों ?
(3) इमारत की मजबूती का आधार क्या है?
(4) सुंदर सृष्टि क्या खोजती है?
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