धनराज पिल्ले ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है ? लगभग 100 शब्दों में इस सफर का वर्णन कीजिए ।
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Answer: धनराज पिल्लै की ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा कठिनाइयों और संघर्षों से भरी थीं। धनराज पिल्लै एक साधारण परिवार के होने के कारण उनके लिए हॉकी में आना इतना आसान न था। ... उन्हें हॉकी खेलने के लिए अपने मित्रों से हॉकी स्टिक उधार माँगनी पड़ती थी l
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उत्तर:- धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की। उनका यह सफर बेहद ही संघर्षपूर्ण रहा। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। उनकी माता जी उनका भरण-पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाती थी। उनके दोनों बड़े भाई हाॅकी खेलते थे, इसलिए उन्हें भी हॉकी खेलने का शौक हुआ। लेकिन हॉकी स्टिक खरीदने की उनकी हैसियत नहीं थी इसलिए वे अपने साथियों की स्टिक उधार मांगकर अभ्यास करते थे। जब उनके बड़े भाई को भारतीय कैंप के लिए चुना गया, तब उन्हें उनकी पुरानी स्टिक मिली। उन्होंने अपनी जूनियर राष्ट्रीय हॉकी सन् 1985 में मणिपुर में खेली। 1988 में राष्ट्रीय खेलों के लिए दिल्ली आकर उन्होंने पहली बार कृत्रिम घास पर हॉकी खेली। इसके बाद 1989 में उन्हें ऑलविन एशिया कप के कैंप के लिए चुना गया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सन् 1984 में उन्होंने पुणे के भाऊ पाटिल रोड पर दो बेडरूम में एक छोटा-सा फ्लैट खरीदा। इसके बाद 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें पवई में एक फ्लैट दिया। सन् 2000 में धनराज पिल्ले ने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से अपने लिए एक फोर्ड आइकॉन खरीदी। इस प्रकार धीरे-धीरे करके वे लगातार।सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।