धनधान्यप्रयोगेषु विद्यायाः संग्रहेषु च ।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत् ॥5llसंस्कृत
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अर्थात् ; व्यक्ति को धन ~ धान्य के प्रयोग में, विद्याध्ययन में, भोजन में तथा व्यहार इत्यादि में लज्जा त्याग देनी चाहिए, तभी वह सुखी रह सकता है.
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पूरा प्रश्न : निम्नलिखित श्लोक का अन्वयः और हिंदी अर्थ लिखिए l
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यायाः संग्रहेषु च ।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत् ll
उत्तर : धनधान्यप्रयोगेषु ……….. सुखी भवेत् ll
अन्वयः - धनधान्यप्रयोगेषु विद्यायाः संग्रहेषु च आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।
हिंदी अर्थ - धन और अनाज का प्रयोग करने में, विद्या को प्राप्त करने में, भोजन करने में और व्यवहार में लज्जा अर्थात शर्म को त्यागने वाला ही सदैव सुखी रहता है l
प्रस्तुत श्लोक में मनुष्य को अच्छे वचन और अच्छे कर्म करने की सीख दी गई है l इस लोक से आशय है कि एक व्यक्ति को हमेशा धन का प्रयोग उचित प्रकार से करना चाहिए l यदि किसी गरीब व्यक्ति को धन की आवश्यकता है तो वह हमें बांटना चाहिए l उसी प्रकार यदि हमारे पास भोजन अधिक है तो इसे भी हमें गरीबों में बांटना चाहिए l यदि हम शर्म को त्याग दें तो हम सुखी रह सकते हैं l
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