"धरा हिला, गगन [जा, नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी ज्योति-सी जल, जला
भुजा-भुजा, फड़क-फड़क रक्त में धड़क धड़क।
धनुष उठा प्रहार कर तू सबसे पहला बार कर
अग्नि सी धधक-धधक हिरन सी सजग-सजग।
सिंह सी दहाड़ कर शंख सी पुकार कर।
रूके न तू, थकें न तू झुके न तू, थमे न तू
सदा चले, थकें न तू रूके न तू, झूके न तू।"
क)
ग)
घ)
कवि हमें क्या प्रेरणा दे रहे हैं?
कवि ने हिरन के समान सजग रहने को क्यों कहा है?
'धरा' शब्द के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
कविता में प्रयुक्त दो पुनरूक्त शब्दों को लिखिए।
'सदा' शब्द का अर्थ लिखिए।
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1) कवि हमे यह प्रेरणा दे रहा है कि तुम आगे बढ़ते जाओ विजेह तुमहरी होगी l तुम्हे कभी भी रूकना नहीं चाहिए l
हमेशा आगे बढ़ते जाओ l एक दिन तुम्हे सफलता जरूर मिलेगी l
2) कवि ने इसलिए कहा है कि तुम कभी रूको मत l तुम हमेशा हिरण की तरह सजग(सावधान) रहना ता जो कोई भी व्यक्ति तुमसे आगे ना होl तुम हमेशा सावधान रहना ता जो तुम अपनी मंजिल तक पहुंच पाओ l
3) जमीन, धरती, पृथ्वी
4)I can't find because it is From whole poem
5) हमेशा, स्देव
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