Hindi, asked by klardangtokbi, 2 months ago

धर्म आपसी सद्भाव एवं एकता का प्रतीक है क्योंकि किसी धर्म विशेष को मानने वाले लोग एक ही प्रकार की जीवन पद्धति का पालन करते हैं। धर्म या मज़हब अपने अनुयायियों को एकता के सूत्र में पिरोकर रखने का कार्य भी करता है। जब-जब किसी भी विदेशी आक्रांता ने भारत पर आक्रमण किया है उसने धर्म के बजाय समाज में साम्प्रदायिकता की भावना को पनपाकर राष्ट्रीय एकता को खंडित करने का प्रयास किया है। धार्मिक एकता को विखंडित करने के बाद ही वे भारत पर कब्जा करने में कामयाब हो पाए। अंग्रेजों ने भी यही किया और 200 वर्षों तक भारत पर शासन किया। हम निश्चित रूप से इतने वर्षों की गुलामी से बच जाते, अगर हमने साम्प्रदायिकता की भावनाओं पर अंकुश लगाते हुए, सर्वधर्म समभाव एवं धर्म की मूल भावना को सही अर्थों में समझा और अपनाया होता।
स्वामी विवेकानंद के अनुसार धर्म लोगों को संगठित करने का कार्य करता है और भाईचारे की भावना के साथ समाज को समग्र विकास के पथ पर अग्रसर करता है। सामाजिक एकता को बढ़ाना विश्व के सभी धर्मों की स्थापना का मूल उद्देश्य है। धर्म का उद्देश्य अपने अनुयायियों को जीवन जीने के लिए जरूरी सभी गुणों से परिपूर्ण करते हुए एक ऐसा आधार प्रदान करना है जिससे वे एकता की भावना से संगठित होकर समाज की भलाई के लिए कार्य कर सकें। इन संदेशों का सार यह है कि हर मजहब या धर्म एकता का ही पाठ पढ़ाते हैं।
विदेशी आक्रांताओं ने राष्ट्रीय एकता को खंडित करने के लिए क्या किया?
I. धर्म का सहारा लिया और लोगों को अपने पक्ष में कर लिया |
II. साम्प्रदायिकता की भावना को भड़काकर भारतीयों को विभाजित किया |
III. धर्म के आधार पर भारतीयों को संगठित किया |
IV. जबरन धर्म परिवर्तन करवाया और न मानने पर आक्रमण किया |
गद्यांशके अनुसार सभी धर्मों की स्थापना का मूल उद्देश्य क्या है ?
I. ईश्वर के प्रति आस्था जाग्रत करना |
II. धर्म के माध्यम से विश्व राजनीति को प्रभावित करना |
III. सामाजिक एकता एवं सद्भाव |
IV. उपर्युक्त सभी |

कौन लोगों को समग्र विकास के पथ पर अग्रसर करता है ?
I. स्वामी विवेकानंद
II. धर्म
III. एक संगठित समाज
IV. एक सच्चा अनुयायी
‘साम्प्रदायिक भावना’ का तात्पर्य है –
I. अपने सम्प्रदाय या धर्म में अगाध आस्था |
II. अपने सम्प्रदाय या धर्म में अगाध आस्था एवं अन्य धर्मों के प्रति आदर भाव |
III. विश्व के सभी धर्मों में आस्था रखना |
IV. अपने सम्प्रदाय या धर्म को श्रेष्ठ मानते हुए दूसरे सम्प्रदाय या धर्म को गलत ठहराना अथवा द्वेष रखना |
इस गद्यांशका सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक क्या है ?
I. साम्प्रदायिकता
II. धर्म का उद्देश्य एवं महत्त्व
III. राष्ट्रीय एकता में धर्म का महत्त्व
IV. धर्म और मानव जीवन​

Answers

Answered by baljeetpunia1979
0

Answer:

नबाब

बात नहीं कर सकते में भी नहीं कर सकते

है जो एक और एक बार बार तो क्या आप को अपने

Explanation:

गजोबजक्लक बकलवलोPउहन्नननVइक्वन9

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