Hindi, asked by deepakagrawal65, 11 months ago

धर्म अनेक परंतु संदेश 1 ​

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Answered by dhananjaymakhdumpur5
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विश्व में अनेक धर्मों और मतों को मानने वाले लोग हैं, मगर सबका सार एक ही है। लेकिन हमने धर्म के मूल को  समझने की बजाय परमात्मा को ही बांट दिया है। पर क्या हम परमात्मा को बांट सकते हैं? जब प्रकृति, उसके सूरज, चांद, वायु, आकाश सभी धर्मो के लोगों के हैं तो अल्लाह, ईश्वर, जीसस और वाहेगुरु अलग कैसे हो गए? यदि हिंदू किसी मस्जिद में जाकर प्रार्थना करे तो क्या अल्लाह उसकी पुकार नहीं सुनेगा? मुस्लिम की प्रार्थना क्या मंदिर का ईश्वर नहीं सुनेगा?

सूर्य का कोई धर्म नहीं है, वह सभी धर्मो का है। उसका एकमात्र ध्येय मानव मात्र को प्रकाश प्रदान करना है। जब परमात्मा और प्रकृति एक है तो हम धर्म के नाम पर अलग क्यों हो जाते हैं?

आश्चर्य की बात है कि हर धर्म के परमात्मा हमें प्रेम और करुणा का संदेश देते हैं, मगर हम प्रेम को भूलकर लड़ने को तैयार रहते हैं। धर्म हमें प्रेम सिखाता है, मगर हम धर्म के नाम पर शस्त्र उठा लेते हैं। आज विश्व में धर्मो की भरमार है, मगर व्यक्ति फिर भी तनाव और दुखों में जीने को मजबूर है। धर्म के मूल को न समझने से धर्म बंटते गए, लोग बंटते गए और आस्था-परमात्मा भी बंट गए। पर सच्चाई है कि जिसने धर्म को जान लिया, वह मानवता को संघर्ष की ओर नहीं, प्रेम के मार्ग पर ले जाता है।

सभी धर्मो के शास्त्र अद्भुत शक्तियों से भरे हुए हैं। इन शास्त्रों में मानव कल्याण की संकल्पना छिपी है, न कि किसी धर्म विशेष की। सनातन मर्यादा के सभी शास्त्र समूची मानवता के हैं। कुरान-ए-पाक में कहीं नहीं लिखा कि इसे केवल मुस्लिम पढ़ें। इस ग्रंथ में अल्लाह और परमात्मा की कृपा का जो आलोक है, वह हर धर्म के लोगों के लिए समान है। जिस प्रकार वर्षा की बूंदें हर धर्म और सम्प्रदायों के लोगों को भिगोती हैं, उसी प्रकार इन शास्त्रीय ग्रंथों से निकलने वाली कृपा सभी धर्मो के लोगों के लिए बराबर है। प्रभु कृपा किसी धर्म और सम्प्रदाय तक सीमित नहीं है। कृपा का आलोक हर धर्म, सम्प्रदाय और मत के लोगों को बराबर आलोकित करता है। जिस प्रकार एक पिता अपने चारों पुत्रों पर एक समान दृष्टि रखता है, उसी प्रकार परम पिता परमात्मा सभी धर्मो के लोगों पर समान दृष्टि रखता है। सभी धर्मो का सार और परमात्मा एक था, एक है और एक रहेगा।

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Answered by SweetPoison07
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