| धर्मो जयति नाधर्म:, सत्यं जयति नानृतम् ।।
क्षमा जयति न क्रोधो, देवो जयति नासुरः ।। प्रथमा ।।।
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।
| देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।। द्वितीया ।।
काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।
व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ।। तृतीया ।।
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This is Sanskrit language.
Explanation:
It's to hard to understand.
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