धर्म की आड़ पाठ में लेखक ने बेनकाब किया है-
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प्रस्तुत पाठ ' धर्म की आड़ ' में विद्यार्थी जी ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की फ़िराक में रहते हैं। ... लेखक के अनुसार शंख बजाना, नाक दबाना और नमाज पढ़ना धर्म नही है।
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