धर्म के महत्वधर्म की महत्व को visatar समझाइए
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शरीर, वाणी और मन की प्रवृत्ति मनुष्य को वाह्य जगत् में ले जाती है। वाणी मौन होना चाहती है और शरीर शिथिल। शरीर की शिथिलता, वाणी का मौन और मन का अंतर में विलीन होना ध्यान है और यही आत्मा का स्वाभाविक रूप है, यही धर्म है। धर्म का अर्थ है आत्मा से आत्मा को देखना, आत्मा से आत्मा को जानना और आत्मा से आत्मा में स्थित होना।
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