धर्म की दृष्टि से भारत का क्या महत्व है
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धर्म की दृष्टि से भारत का महत्व:
भारत प्राचीन काल से ही धार्मिक विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ धर्म के वास्तविक उद्भव उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिलता है। भारत वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है, पारसियों के जरथुस्ट्र धर्म की यह शरण-स्थली है। आज भी यहाँ नित्य नये मत-मतान्तर प्रकट एवं विकसित होते रहते हैं। इस तरह से भारत धार्मिक क्षेत्र में विश्व को आलोकित करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण देश है।
भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म।
भारत के बारे में अधिक जानें:
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संकल्पना :
धार्मिक दृष्टिकोणों, विश्वासों और प्रथाओं का एक व्यक्तिगत सेट या संस्थागत प्रणाली।भगवान या अलौकिक की सेवा और पूजा।धार्मिक आस्था या पालन के प्रति प्रतिबद्धता या समर्पण।धर्म के 20वें वर्ष में एक धार्मिक नन की अवस्था।
व्याख्या :
भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म।
धार्मिक विविधता सदियों से भारत की जनसंख्या की एक परिभाषित विशेषता रही है। देश का कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है, लेकिन धर्म अपने मंदिर समारोहों, त्योहारों, तीर्थयात्राओं, पारिवारिक धार्मिक परंपराओं और इसी तरह के माध्यम से भारतीय दैनिक जीवन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है ।
भारत की जनसंख्या के 79.8% लोग हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं। इस्लाम, बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म और सिक्ख धर्म, भारतीयों द्वारा अनुसरण किये जाने वाले अन्य प्रमुख धर्म हैं।
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