Hindi, asked by Shreyanshatstudy, 1 day ago

'धर्म निरपेक्षता' इस विषय पर अपने विचार ६ से ८ वाक्यों में लिखिए।

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Answered by himab8420
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Explanation:

धर्मनिरपेक्षता का भारतीय मॉडल:

यद्यपि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। भारत का कोई राजकीय धर्म नहीं है, न ही किसी धर्म विशेष को तवज्जों दिया जाता है। यहाँ सभी धर्म समान है तथा व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता संविधान के द्वारा दी गयी है। कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म के अनुसार आचरण कर सकता है। भारत में राज्य सत्ता धर्म के अन्दर फैली कुरितियों तथा कमियों को दूर कर सकती है अर्थात सरकार धार्मिक सुधार कर सकती है। सतीप्रथा, बालविवाह उन्मूलन तथा अर्न्तजातीय विवाह पर हिन्दू धर्म द्वारा लगाये गये निषेध को खत्म करने हेतु सरकार ने अनेक कानून बनाये है। इसी प्रकार अस्पृश्यता पर प्रतिबंध लगाया है। भारतीय धर्मनिरपेक्षता के अर्न्तगत विभिन्न धार्मिक समुदायों के अधिकारों का राज्य संरक्षण करता है। साथ ही अल्पसंख्यकों के अधिकारों को भी संरक्षित किया जाता है।उपरोक्त व्याख्या से स्पष्ट है कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता तथा पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता एक-दूसरे से भिन्न है।

धर्म निरपेक्षता की आलोचना :

भारतीय धर्मनिरपेक्षता की अनेक आलोचनायें की जाती है। जिनका विवरण निम्नवत है : 01. धर्म विरोधी :- भारतीय धर्मनिरपेक्षता को धर्मविरोधी भी कहकर अक्सर

इसकी आलोचना की जाती है। अतएव आलोचना की जाती है कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता धर्म विरोधी है। 02. पश्चिम से आयातित-भारतीय धर्म निरपेक्षता के मॉडल को मूल स्वरूप में नहीं माना जाता है तथा आलोचना की जाती है कि यह पश्चिम से आयातित मॉडल है यह पश्चिमी देशों से नकल कर बनाया गया मॉडल है। यह धर्मनिरपेक्षता ईसाइयत से जुड़ी है अर्थात यह

पश्चिमी चीज है और इसीलिये भारतीय स्थितियों के लिये अनुपयुक्त हैं।

03. अल्पसंख्यकवाद - भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा का प्रावधान किया गया है। जिसकी वजह से अल्पसंख्यकवाद होने का आरोप लगाया जाता है। चूकि धर्म निरपेक्षता में किसी भी धर्म के लोगों के हितों की रक्षा की अनुमति नहीं होती है। अतः ऐसे में किसी भी धर्म चाहे वह अल्पसंख्यक हो अथवा बहुसंख्यक धर्मनिरपेक्ष राज्य सत्ता उनके हितों की पैरवी नहीं कर सकती है। किसी को भी विशेषाधिकार की स्थिति नहीं दी जानी चाहिये चूकि भारत अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसीलिये भारतीय धर्मनिरपेक्षता की आलोचना की जाती है।

04. अतिशय हस्तक्षेपकारी भारतीय धर्मनिरपेक्षता उत्पीड़नकारी है तथा यह विभिन्न समुदायों तथा संगठनों में अतिशय हस्तक्षेप करती है। भारतीय धर्मनिरपेक्षता राज्यसत्ता समर्थित धार्मिक सुधार की इजाजत देती है। जब भारत में किसी भी धर्म में अन्याय या कुप्रथा जैसी कोई कमी होती है तो उसे राज्य दूर करने का प्रयास करता है। यदि कोई धर्म किसी व्यक्ति विशेष के ऊपर अत्याचार या अन्याय करता है तो राज्य उस व्यक्ति का संरक्षण करता है। इसी आधार पर भारतीय धर्म • निरपेक्षता की आलोचना की जाती है कि यह अतिशय हस्तक्षेपकारी है. दमनकारी है।

• 05 वोट बैंक की राजनीति भारतीय धर्म निरपेक्षता की आलोचना इस आधार पर भी की जाती है कि यह वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देती है, भारत में वोट प्राप्त करने के लिये राजनेता संविधान से छेड़छाड़ करते रहते है अर्थात चुनाव के वक्त वोट मागने के लिये जब जनता के पास जाते है तो वो उनके हितों के संरक्षण का वादा करते है और जब सत्ता में आते है तो संविधान संशोधन करने से भी नहीं चूकते है। अतः आलोचकों के अनुसार भारतीय धर्म निरपेक्षता वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित है।

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