धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला सत्य या असत्य
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धर्म ने धन को पैरों तले कुचला।
— सत्य
व्याख्या :
यह कथन मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित नमक का दरोगा नामक कहानी के संदर्भ में है। दरोगा बंशीधर ने जब पंडित अलोपदीन की अवैध नमक से भरी गाड़ियों को पकड़ा तो पंडित अलोपीदीन ने रिश्वत देकर मामले को रफा-दफा करने की बहुत कोशिश की। लेकिन ईमानदार दरोगा वंशीधर टस से मस नहीं हुआ वह अपने कर्तव्य एवं धर्म के पथ पर अडिग खड़ा रहा। धन का हर बार बेकार गया और आखिर में पंडित अलोपदीन को दरोगा बंशीधर के हाथों गिरफ्तार होना पड़ा।
इस तरह धर्म ने धन को पैरों तले कुचल दिया। यहाँ पर दरोगा बंशीधर धर्म का प्रतीक है, और पंडित अलोपदीन धन का प्रतीक है।
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