धर्म और राष्ट्रवाद आलेख का सार लिखिए
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धर्म को उदार सार्वदेशिक और सब मानव वर्गों तथा मानवीय परिस्थितियों में प्रयुक्त किए जाने योग्य होना चाहिए। राष्ट्रवाद इस भावना पर आघात करता है। जब तक कोई धर्म किसी वर्ग, श्रेणी या राष्ट्र की कार्यपरिधि से बाहर नहीं निकलता तब तक उसका यह दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता कि वह सन्मार्ग का अनुसरण कर रहा है।
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