धर्म और विज्ञान परंपरा से एक-दूसरे के विरोधी माने जाते है। कहा जाता है कि धर्म की उत्पत्ति भय से हुई और
वह तर्कहीन विश्वास पर आधारित है। विज्ञान की उत्पत्ति सत्य के प्रति जिज्ञासा से हुई और उसे हर बात में तर्क, बुद्धि
और प्रमाण की अपेक्षा होती है। धर्म ईश्वर के अस्तित्व को सर्वशक्तिमान तथा अनादि और अनंत मानता है जबकि विज्ञान
ऐसी किसी शक्ति के अस्तित्व को स्वीकार नही करता। धर्म मनुष्य को आध्यात्मिक बनाता है। विज्ञान का विकास विशुद्ध
भौतिकवादी होने में है। परलोक में स्वर्ग का आकर्षण और नरक का भय उत्पन्न करके धर्म मनुष्य से नाना प्रकार के
अंधविश्वास पूर्ण कर्म कराता है। विज्ञान परलोक में विश्वास करता है और न स्वर्ग या नरक में। इतने सब विरोधी कथनों के
बावजूद धर्म और विज्ञान में गहरा संबंध है। धर्म और विज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू है। दोनों का लक्ष्य सत्य के रूप
को उजागर करना ही है। यह बात और है कि दोनों की प्रणालियाँ अलग-अलग हैं। यदि सर्वेक्षण किया जाए, तो मानव
जाति पर आज धर्म के बदले विज्ञान का प्रभुत्व फैला हुआ है। आज तर्कहीन सत्य से ज्यादा स्थूल प्रमाण समर्पित सत्य ने
लोगों का विश्वास जीता है। यही कारण है कि धर्म विज्ञान से मात खा रहा है।
1. धर्म किस पर आधारित है ?
2. विज्ञान की उत्पत्ति कैसे हुई ?
3. धर्म किस प्रकार के कर्म पर विश्वास करता है ?
4. विज्ञान और धर्म में क्या संबंध है ?
5. आज धर्म विज्ञान से मात क्यों खा रहा है ?
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Answer:
answer1-तर्कहीन विश्वास पर आधारित
answer2- विज्ञान की उत्पत्ति सत्य के प्रति जिज्ञासा से हुई और उसे हर बात में तर्क, बुद्धि और प्रमाण की अपेक्षा होती है।
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Explanation:
- धर्म तर्कहीन विश्वास पर आधारित है।
- विज्ञान की उत्पत्ति सत्य के प्रति जिज्ञासा से हुई।
- धर्म ईश्वर के अस्तित्व को सर्वशक्तिमान तथा अनादि और अनंत मानता है
- दोनों का लक्ष्य सत्य के रूप को उजागर करना है।
- आज तर्कहीन सत्य से ज्यादा स्थूल प्रमाण समर्पित सत्य ने लोगों का विश्वास जीता है। यही कारण है कि धर्म विज्ञान से मात खा रहा है।
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