धर्म प्रथा का निष्कर्ष
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निष्कर्ष सही बात यह है कि धर्म और नैतिकता दो स्वतंत्र अवधारणाएँ हैं जिनमें से किसी एक का किसी दूसरे पर टिका होना अनिवार्य नहीं है। कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो गहरे स्तर पर धार्मिक हों और उसी स्तर पर नैतिक भी हों। ... कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो धार्मिक तो हैं पर नैतिक की बजाय अनैतिक रास्तों पर चलते हैं
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