धर्म से आप क्या समझते हैंसमाज में धर्म का क्या रूप है आपके अनुसार धर्म किस प्रकार का होना चाहिए
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पन्थ/सम्प्रदाय के अर्थ में धर्म के लिए धर्म (पंथ) देखें। राजधर्म के लिए राजधर्म देखें। दक्षिणा के लिए दक्षिणा देखें।
1) धर्मचक्र (गुमेत संग्रहालय, पेरिस)
2) सम्राट अशोक द्वारा लिखवाया गया कान्धार का द्विभाषी शिलालेख (258 ईसापूर्व) ; इस लेख में संस्कृत में 'धर्म' और ग्रीक में उसके लिए 'Eusebeia' लिखा है, जिसका अर्थ यह है कि प्राचीन भारत में 'धर्म' शब्द का अर्थ आध्यात्मिक प्रौढ़ता, भक्ति, दया, मानव समुदाय के प्रति कर्तव्य आदि था।
धर्म ( पालि : धम्म ) भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन की प्रमुख संकल्पना है। 'धर्म' शब्द का पश्चिमी भाषाओं में किसी समतुल्य शब्द का पाना बहुत कठिन है। साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, 'धारण करने योग्य' सबसे उचित धारणा, अर्थात जिसे सबको धारण करना चाहिये। हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म न होकर सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। "सम्प्रदाय" एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। ऐसा माना जाता है कि धर्म मानव को मानव बनाता है।
हिन्दू धर्म में अनेक स्थलों पर धर्म को किसी ऐसे मानव के रूप में दर्शाया गया है जो न्याय और प्राकृतिक व्यवस्था की प्रतिमूर्ति है। इसी प्रकार, यम को 'धर्मराज' कहा जाता है क्योंकि वे मनुष्यों को उनके कर्म के अनुसार निर्णय करके गति देते हैं।
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