Social Sciences, asked by darwintejdarwin1477, 10 months ago

धर्मनिरपेक्ष राज्य से क्या समझते हैं

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Answered by krishnaparmar19
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Explanation:

रे देश मे हर एक नेता के मूह से निकलने वाला पहला शब्द है यह , इसका अर्थ विशाल और स्पष्ट है, मगर जिस नियत से यह व्यवहार मे उपयोग किया जाता है क्या वह नियत उतनी ही पवित्र होती है जितना की यह शब्द है ,क्या कभी किसीने सोचा की इस धर्मनिरपेक्षता शब्द की आड मे किसे खुश किया जा रहा तो किसी की धार्मिक स्वतंत्रता पर नियंत्रण किया जा रहा , क्या यह भारत मे सत्ता पानेका बीज शब्द है? धर्मनिरपेक्षता मे सबको अधिकार समान हो अपने धर्म के प्रति विचार प्रगट करने के ,उसी प्रकार हर एक धर्म के कट्टरवादीयो पर भी उतना ही नियंत्रण हो की वह दूसरे धर्म के प्रति असम्मान व्यक्त ना करे , हम सृष्टि निर्माता का सभी आदर एवं पूजन करते है सभी की पूजा इबादत विधि भिन्न है ,सभी पंथि उसे अलग अलग नामसे पुकारते है ,मगर इस धरातल के मानव प्रजाती को यह बात गांठ बाँध लेनी चाहिये की कोई भी पंथिय व्यक्ति किसी भी प्रकार ध्यान पूजा प्रेयर इबादत करे मगर इस सृष्टि का निर्माता एक ही है उसे किसी भी नामसे पुकारो खुदा अल्लाह ईश्वर गॉड वह एक ही है , और अगर जब तक हम इस बात पर यकीन नही करते तब तक इस धर्मनिरपेक्षता शब्द का अर्थ सिर्फ एक ढकोसला मात्र है ,राजनीतिक बिसात पर धर्मनिरपेक्षता शब्द का भारत मे षय मात के रूप मे उपयोग किया जाता है ,कोई खुले आम अपने संगठन बनाकर किसी एक धर्म के विषय मे खुले आम दुष्प्रचार और अपशब्द कहे चले जाते और सरकारे उसपर सिर्फ इसलिये कोई करवाई नही करती की कही सामाजिक शान्ती भंग ना हो ,अगर उन्हे गिरफ्तार करेंगे तो हिंसा भड़केंगी ,क्या ऐसी सोच से सच भारत मे धर्मनिरपेक्षता की रक्षा हो पायेगी अगर भारत मे धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करना है तो यह बन्धन हर एक व्यक्ति पर रखना होगा की वह अपने धर्म के प्रचार हेतु किसी दूसरे धर्म की बुराई ना करे ,सभी एक दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान करे और इसे सरकार को कानूनी रूप से कडाई से लागू करना चाहिये , और जबतक इस बात पर सरकार गंभीर नही होती हम विश्व पटल पर हमारे देश को प्रगती पथ की सर्वोच्च उचाई पर नही ले जा सकते ,सर्वोच्च सम्मान सिर्फ अपने देश और मातृभूमि भारतमा को दे ,

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