Hindi, asked by devisuman981156, 6 months ago

धरती के आँचल में सजी
सँवरी हैं स्वर्ण रश्मियाँ,

खेतों में आज बिखरा है सोना
जिसे देख कर महका

कृषक मन का कोना-कोना।
किया धरती का सोलह-सिंगार

चमचमाते नयन बार-बार,
धानी चुनर में मोती सजे हैं

ढोल, ताशे और बाजे बजे हैं
दिल की वीणा के झंकृत हैं तार

झूमें-गाएँ सबके मन बार-बार।
हुए आँखों में सब सपने साकार

फिर से जागी हैं उम्मीदें हजार


Answers

Answered by Anonymous
2

Explanation:

रैदास के ईश्वर लोगों पर किस प्रकार कृपा कर रहे हैं

रैदास के ईश्वर लोगों पर किस प्रकार कृपा कर रहे हैं

रैदास के ईश्वर लोगों पर किस प्रकार कृपा कर रहे हैं

धरती के आँचल में सजी

सँवरी हैं स्वर्ण रश्मियाँ,

खेतों में आज बिखरा है सोना

जिसे देख कर महका

कृषक मन का कोना-कोना।

किया धरती का सोलह-सिंगार

चमचमाते नयन बार-बार,

धानी चुनर में मोती सजे हैं

ढोल, ताशे और बाजे बजे हैं

दिल की वीणा के झंकृत हैं तार

झूमें-गाएँ सबके मन बार-बार।

हुए आँखों में सब सपने साकार

फिर से जागी हैं उम्मीदें हजार

Hope it help..

Pls thank my this answer only..

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