धरती का आँगन
इनसे महक
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“धरती का आंगन” महके कविता 'डॉ प्रकाश दीक्षित' द्वारा लिखी गई कविता है। इस कविता का भावार्थ इस प्रकार है... भावार्थ — कवि कहता है कि धरती का आंगन कर्मरूपी ज्ञान और विज्ञान की सुगंध से महक उठे। चारों तरफ ज्ञान की ऐसी सरिता प्रवाहित हो कि खेत-खलिहान, बाग-बगीचे, नगर-गाँव सब खिल उठें।
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