Hindi, asked by tanishkhanvilkar64, 5 months ago

धरती का आँगन महके कर्मज्ञान-विज्ञान से,
ऐसी सरिता करो प्रवाहित खिले खेत सब धान से ।
अभिलाषाएँ नित मुसकाएँ आशाओं की छाँह में,
पैरों की गति बँधी हुई हो विश्वासों की राह में ।
शिल्पकला-कुमुदों की माला वक्षस्थल का हार हो,
फूल-फलों से हरी-भरी इस धरती का श्रृंगार हो ।​

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Answered by jagangamer40
5

Answer:

शिल्पकला-कुमुदो की माला वक्षस्थल का हार हो,

फूल - फलो से हरी - भरी इस धरती का श्रृंगार हो ।

Answered by hemang123singhalabc
1

Answer:

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Explanation:धरती का आँगन महके कर्मज्ञान-विज्ञान से,

ऐसी सरिता करो प्रवाहित खिले खेत सब धान से ।

अभिलाषाएँनित मुसकाएँ आशाओं की छाँह में,

पैरों की गति बँधी हुई हो विश्वासों की राह में ।

शिल्‍पकला-कुमुदों की माला वक्षस्‍थल का हार हो,

फूल-फलों से हरी-भरी इस धरती का श्रृंगार हो ।

चंद्रलोक या मंगल ग्रह पर चढ़ें किसी भी यान से,

किंतु न हो संबंध विनाशक अस्‍त्रों का इनसान से ।

साँस-साँस जीवनपट बुनकर प्राणों का तन ढाँकती,

सदाचार की शुभ्र शलाका मन सुंदरता आँकती ।

प्रतिभा का पैमाना मेधा की ऊँचाई नापता,

मानवता का मीटर बन, मन की गहराई मापता ।

आत्‍मा को आवृत्‍त कर दें स्‍नेह प्रभा परिधान से,

करें अर्चना हम सब मिलकर वसुधा के जयगान से ।

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