Hindi, asked by janhavibabuujeli, 17 days ago

धरती का आँगन महके कर्मज्ञान-विज्ञान से,

ऐसी सरिता करो प्रवाहित खिले खेत सब धान से ।

अभिलाषाएँनित मुसकाएँ आशाओं की छाँह में,

पैरों की गति बँधी हुई हो विश्वासों की राह में । bhavart batao please give answer

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Answered by bjaat5623
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Answer:

धरती का आँगन महके कर्मज्ञान-विज्ञान से,ऐसी सरिता करो प्रवाहित खिले खेत सब धान से । अभिलाषाएँ नित मुसकाएँ आशाओं की छाँह में, पैरों की गति बँधी हुई हो विश्वासों की राह में । ... फूल-फलों से हरी-भरी इस धरती का श्रृंगार हो ।

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