धरती की सी रीत है , सीत, घाम औ मेह जैसी परे सो सहि रहे , त्यों रहीम यह देह | 1. कवि एवं कविता का नाम लिखिए। 2. धरती की क्या रीत है ? 3. कवि ने मनुष्य की तुलना धरती से क्यों की है ?
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धरती की सी रीत है, सीत घाम औ मेह। ... अर्थ- इस दोहे में रहीम दास जी ने धरती के साथ-साथ मनुष्य के शरीर की सहन शक्ति का वर्णन किया है। ... उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी जीवन में आने वाले सुख-दुःख को सहने की शक्ति रखता है।
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धरती की सी रीत है , सीत, घाम औ मेह जैसी परे सो सहि रहे , त्यों रहीम यह देह | 1. कवि एवं कविता का नाम लिखिए। 2. धरती की क्या रीत है ? 3. कवि ने मनुष्य की तुलना धरती से क्यों की है ?
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