धरती कितना देती है?’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
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' धरती कितना देती है । कविता में कवि ने मनुष्य के जीवन में सत्कर्म के महत्व को प्रतिपादन किया है । कवि बताना चाहता है कि अच्छे काम करने से ही मानव जीवन तथा समाज का हित होना सम्भव है । कवि भाग्यवाद से प्रभावित है अथवा यह भी कह सकते हैं कि कवि गीता के कर्मवाद का संदेश दे रहा है । कवि के शब्दों में कहना चाहें तो कहा जा सकता है - हम जैसा बोयेंगे वैसा ही पायेंगे । तात्पर्य यह है कि अच्छे कर्म का फल अच्छा तथा बुरे कर्म का फल बुरा मिलता है । अतः मनुष्य को अच्छे काम करने चाहिए ।
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